akwriter एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसका नाम राजू था। वह बड़ा ही सच्चा और मेहनती था। अपने माता-पिता की मदद करके वह गांव के लोगों के दिलों में बड़ा प्यार गवांथा।
एक दिन, गांव में एक मेला आया। राजू ने अपने दोस्तों के साथ मेले का मजा लिया। वह खुशी-खुशी घूम रहा था, पर फिर उसने एक गरीब वृद्ध आदमी को देखा जो भूखा-प्यासा दिन भर मेले के दरवाजे पर खड़ा था।
राजू ने उस वृद्ध के पास जाकर उससे पूछा, "दादा, क्या आपको भूख लगी है?"
वृद्ध आदमी ने कहा, "हां, बेटा, मुझे भूख बहुत लगी है, पर मेरे पास पैसे नहीं हैं खाने के लिए।"
राजू ने अपना जोता खोला और वहां से अपनी दिन की कमाई का कुछ पैसे निकाल कर उस वृद्ध को दिए। वृद्ध आदमी बड़ी खुशी खुशी खाना खाने बैठ गया।
राजू के दोस्तों ने पैसों की जगह खेलने के लिए उसे चिढ़ाया, पर राजू ने उनसे कहा, "सच्चे खुशियां वह होती हैं जो हम दूसरों के साथ बाँटते हैं, न कि अपने लिए रखते हैं।"
इसके बाद, राजू और उसके दोस्तों ने वही वृद्ध आदमी के साथ मेले का मजा लिया, और उन्होंने एक साथ खुशियां बाँटी। इस छोटे से गांव में यह किस्सा बच्चों के बीच एक महत्वपूर्ण सिख सिखाता है - दूसरों की मदद करना और साथी बनकर खुश रहना हमें सच्ची खुशियों का स्रोत देता है।

