यह कहानी है एक छोटे से गाँव के एक दोस्त की, जिनके नाम राजू और सुनील थे। वे बचपन से दोस्त थे और हमेशा साथ खेलते थे। लेकिन एक दिन एक बड़ा रिश्ता उनके बीच आया।
राजू की बहन की शादी थी, और उसने सुनील से दो हफ्ते के लिए दुकान संभालने के लिए मदद मांगी। सुनील ने स्वीकार किया और दुकान पर आने लगा।
पहले कुछ दिन बहुत अच्छे से चला, लेकिन फिर वह थक गया और गुस्से में रहने लगा। वह दुकान में अपने काम में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था और राजू के साथ भी बात नहीं करता था।
राजू दुखी हो गया और वह सुनील से मिलकर बात करने का प्रयास किया। सुनील ने अपनी तकलीफ साझा की और कहा, "मैं थक गया हूँ और गुस्से में हूँ क्योंकि मैं तुम्हारे बिना बिना इस दुकान का संभालना पसंद नहीं करता।"
राजू ने समझाया, "हम दोनों दोस्त हैं और एक दूसरे की मदद करना हमारा कर्तव्य है। हमें मिलकर काम करना चाहिए और अपने रिश्तों को मजबूत बनाना चाहिए।"
सुनील ने राजू की सलाह मान ली और वे फिर से मिलकर दुकान का संभालने लगे। इस बार, उनका साथ मिलकर काम करना और एक-दूसरे की मदद करना उनके रिश्ते को और भी मजबूत बनाया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अच्छे रिश्तों को निभाने के लिए समझदारी, सहयोग, और दोस्ती की महत्ता होती है। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए हमें दूसरों की समस्याओं को समझने और सहयोग करने का प्रयास करना चाहिए।

